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Sunday, August 5, 2007

चाणक्य नीति: एक से भले दो होते हैं

NARAD:Hindi Blog Aggregator

  1. संसार के दुखों से दुखित पुरुष को तीन ही स्थान पर थोडा विश्राम मिलता है- वह हैं संतान, स्त्री और साधू
  2. राजा की आज्ञा, पंडितों का बोलना और कन्यादान एक ही बार होता है।
  3. एक व्यक्ति का तपस्या करना, दो का एक साथ मिलकर पढ़ना, तीन का गाना, चार का मिलकर राह काटना, पांच का खेती करना और बहुतों का मिलकर युद्ध करना
  4. पक्षियों में कोआ, पशुओं में कुत्ता और मुनियों में पापी चांडाल होता है पर निंदा करने वाला सबसे बड़ा चांडाल होता है।

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