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Saturday, August 4, 2007

संत कबीर वाणी: बगुला हंस नहीं हो सकता

NARAD:Hindi Blog Aggregator

चाल बकुल की चलत हैं, बहुरि कहावैं हंस
ते मुक्ता कैसे चुंगे, पडे काल के फंस
संत शिरोमणि कबीरदास जीं कहते हैं कि जो लोग चाल तो बगुले की चलते हैं और अपने आपको हंस कहलाते हैं, भला ज्ञान के मोती कैसे चुन सकते हैं? वह तो काल के फंदे में ही फंसे रह जायेंगे। जो छल-कपट में लगे रहते हैं और जिनका खान-पान और रहन-सहन सात्विक नहीं है वह भला साधू रूपी हंस कैसे हो सकते हैं।

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