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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका
चाणक्य वाणी: दुष्ट की संगत कष्टप्रद

- मूर्ख शिष्य को शिक्षा देने से कोई लाभ नहीं क्योंकि वह उसका उलटा ही अर्थ लेगा और उसका उपभोग भी नहीं कर पायेगा। अत: गुरू का सारा प्रयास व्यर्थ जाएगा।
- दुष्ट व्यक्ति का पालन करने से भी व्यक्ति को कष्ट उठाना पडता है। दुष्ट व्यक्ति कभी भी अपना स्वभाव नहीं छोड़ सकता और उसको पालना, प्रश्रय देना और सहयोग देना अंतत: बहुत कष्टकारी होता है।
- प्रत्येक व्यक्ति को सब कुछ उपलब्ध नहीं होता, यदि ऐसा होता तो व्यक्ति के लिए पृथ्वी ही स्वर्ग होती । ऐसा केवल व्यक्ति के भाग्य से संभव होता है,
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1 comment:
कंडिका १ के तहत आज से एक बालक को शिक्षा देना बंद. :)
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