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दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका
चाणक्य नीति: एक से भले दो होते हैं

- संसार के दुखों से दुखित पुरुष को तीन ही स्थान पर थोडा विश्राम मिलता है- वह हैं संतान, स्त्री और साधू
- राजा की आज्ञा, पंडितों का बोलना और कन्यादान एक ही बार होता है।
- एक व्यक्ति का तपस्या करना, दो का एक साथ मिलकर पढ़ना, तीन का गाना, चार का मिलकर राह काटना, पांच का खेती करना और बहुतों का मिलकर युद्ध करना
- पक्षियों में कोआ, पशुओं में कुत्ता और मुनियों में पापी चांडाल होता है पर निंदा करने वाला सबसे बड़ा चांडाल होता है।
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1 comment:
बहुत सही।
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