जा घट प्रेम न संचारे, सो घट जान समान
जैसे खाल लुहार की, सांस लेतु बिन प्रान
जिस आदमी के हृदय में प्रेम नहीं है वह श्मशान के सदृश्य भयानक एवं त्याज्य होता है। जिस प्रकार के लुहार की धौंकनी के भरी हुई खाल बग़ैर प्राण के सांस लेती है उसी प्रकार उस आदमी का कोई महत्व नहीं है
1 comment:
जा घट प्रेम न संचारे,वो ही होते है महान
जैसे नेता देश के हमरे,सांस लेतु बिन प्रान
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