सरवर तरवर सन्त जन, चौथा बरसे मेह
परमारथ के कारने, चारों धारी देह
सरोवर,वृक्ष, संतजन और चौथा मेह का बरसना ये चारों परोपकार के लिए ही प्रकट है सरोवर, वृक्ष और बादल तो जड़ हैं। संतों की परोपकारिता से किसी की बराबरी नहीं हो सकती।
संकलक,लेखक संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर(मध्यप्रदेश) Writer and Editor-Deepak Raj Kukreja, BharatDeep, Gwalior (Madhya Pradesh)
1 comment:
तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पिअहिं न नीर |
परमारथ के कारने , साधुन धरा शरीर ||
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