बाना पहिरे सिंह का, चले भेड़ की चाल
बोली सियार की, कुता खावै काल
जो सिंह का वेश धारण कर , भेड़ की चाल चलते हैं और सियार की बोली बोलते हैं उन्हें अवश्य कुता फाड़ कर खा जाएगा।
कबीरदास जीं का आशय यह है कि जिनका वेश कुछ और है, कहते कुछ और हैं, एसे लोग छलिया प्रवृति के लोग अवश्य ही पिटते हैं।
No comments:
Post a Comment