दिल का मरहम कोई न मिला, जो मिला मर्जी
कहे कबीर बादल फटा, क्यों कर सीवे दर्जी
कबीर दास जीं कहते हैं कि इस संसार में ऐसा कोई नहीं मिला जो मेरे हृदय को शांति प्रदान कर सके। जो भी मिले सब अपने मतलब से मिले । स्वार्थियों को देखकर मन जब बादल की तरह फट गया तो उसे दरजी क्यों सीयेगा।
1 comment:
कबीर का यह दोहा मूल रूप में कुछ अलग (छन्द मात्रा बद्ध) था शायद, कृपया फिर से जाँच करें।
अच्छा प्रयास है। लगे रहें।
Post a Comment