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Saturday, June 30, 2007

चाणक्य नीति:केतकी के गुण से सीखें

NARAD:Hindi Blog Aggregator
  1. विद्धान और गुणवान व्यक्ति का आदर सब जगह होता है। अगर आदमी एक ही गुण है तो वह उसके सारे अवगुण व दोषों की भी लोगों में अनदेखी करा देता है। ठीक उसी तरह जैसे केतकी जो हर समय साँपों से घिरी रहती है और उस पर फल भी नहीं लगते, और उसमे कांटे भी बहुत होते हैं। वह सीधी भी नहीं होती , कीचड़ में पैदा होती है और लोगों को आसानी से उपलब्ध भी नहीं होती पर उसकी गंध ऐसा गुण है जिसके कारण सब उसे पाने के लिए लालायित रहते हैं। इस प्रकार इतने सारे अवगुण होते हुए भी केतकी में लोगों का मोह होता है।

*लेखक का मत है लोगों को आत्ममंथन कर यह देखना चाहिए कि कौनसा उनमें गुण है और कौनसा अवगुण है और फिर अपने जीवन की रूपरेखा तय इस तरह करना चाहिए कि हम अपने गुण के अनुसार ही कार्य करें तो हमें समाज में लोकप्रियता मिलेगी।

  • २.किसी व्यक्ति का मान-सम्मान जिस क्षेत्र में न हो तो उसे वह क्षेत्र छोड़ देना चाहिऐ, क्योंकि सम्मान का आभाव में जीवन को कोई अर्थ नहीं होता है।

*लेखक का मानना है कि किसी भी व्यक्ति को वह स्थान त्याग देना चाहिए जहाँ उसकी आजीविका न हो क्योंकि जीविका रहित व्यक्ति कभी भी सम्मान योग्य नहीं होता।

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