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Wednesday, September 2, 2015

हिन्दी दिवस और मूर्तिपूजा विरोध पर लिखे ट्विटर(Twitter on Hindi Diwas and murtipooja virodh)

          मूर्तियों को पूजना अंधविश्वास है उसी तरह जैसे छोटे और बड़े पर्दे के अभिनेता को सच्चा नायक समझना-समाज सुधारक ऐसा क्यों नहीं बताते।
              मूर्तिपूजा के विरोधी समाज सुधारक स्वयं अज्ञानी होते हैं। भक्त जानता है कि मूर्ति पत्थर, काष्ठ या लकड़ी की है पर उसके भाव के कारण भगवान है। एक बात समझ में नहीं आती कि अंधविश्वासों के विरोधी लोगों में सत्य के विश्वास की स्थापना का सकारात्मक मार्ग क्यों नहीं अपनाते।
     औरंगजेब  इतिहास का मुर्दा पात्र है जबकि अब्दुल कलाम जीवंत इबारत है इसलिये मार्ग का नाम बदलना ठीक है।
                                   मुगलकाल के बादशाहों के नाम पर रखी गयी सभी इमारतों, मार्गों व अन्य सभी सार्वजनिक स्थानों के नाम बदलना चाहिये।
                                   मुगलों ने सारे देश पर राज किया यह भ्रम है।  वह दिल्ली तक सीमित रहकर देश के अन्य देश के अन्य  राजाओं से हफ्तावसूली करते थे।
हिन्दी दिवस आने वाला है इसकी हलचल ब्लॉग पर बढ़ती हलचल से दिखाई देने लगा है। हमारी चर्चा प्रचार माध्यमों में न देखकर निराश न हों।
हिन्दी दिवस,हिन्दीसप्ताह, तथा हिन्दीपखवाड़ा मनाने के लिये अंग्रेजी प्रतिभायें अनुवादित होकर सभी जगह प्रकट होंगी।
एक मित्र ने हमसे कहाअगर तुम अंग्रेजी में लिखते तो हिट हो जाते। हमने कहा-हम विदेशी भाषा में देशी सोच नहीं डाल पाते।
                                   एक लेखक के लिये ट्विटर पर लिखना वैसा ही जैसे विज्ञापन के लिये नारे लिखना। हिन्दी दिवस पर खोजने वाले यहां हिन्दी दिवस पर अधिक नही है।
                                   हिन्दी दिवस पर पढ़ने और लिखने वाले ट्विटर पर कम ही दिखाई दे रहे हैं। एक पंक्ति में वैसे क्या चर्चा हो सकती है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
यह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
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