एक टीवी चैनल बहस में प्रायोजित विद्वानों के बीच हाथापाई करवाकर
विज्ञापनों की कमाई से सुपरसंडे मनाते देखा। अच्छा प्रयास है। चैनल वाले स्वयं मान
रहे हैं कि कथित धार्मिक विद्वान आते रहे हैं। इसलिये हाथापाई प्रायोजित होने को
संदेह तो होगा। अनेक धार्मिकगुरु तो चैनल वालों ने ही बना दिये हैं। इसलिये उनके
बीच हाथापाई होने से पूर्व में निर्धारित दिखती है। टीवी चैनल पर बहस के साथ बीच
में हाथापाई भी प्रायोजित होना भी
व्यवसायिक दृष्टि से बुरा नहीं कहा जा सकता।
टीवीचैनल पर बहस के बीच हाथापाई होने के बाद उसके समाचार के बीच विज्ञापनों
की रैली! दिलचस्प सुपरसंडे।
दीपकबापूवाणी
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भूलने का रोग बहुत अच्छा, अच्छी याद्दाश्त
लाती संकट बड़े।
‘दीपकबापू’ गुलाब तोड़े डाली से, छोड़े वहीं कंटक
खड़े।।
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सच हमेशा कड़वा होता, अपना राज भी
लोगों से छुपायें।
‘दीपकबापू’ मधुमेह से ग्रसित, समाज को मीठे से लुभायें।।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.comयह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
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