- शास्त्रों की संख्या अनन्त, ज्योतिष,आयुर्वेद तथा धनुर्वेद की विद्याओं की भी गणना भी नहीं की जा सकती है, इसके विपरीत मनुष्य की जीवन अल्प है और उस अल्पकाल के जीवन में रोग,शोक, कष्ट आदि अनेक प्रकार की बाधाएं उपस्थित होती रहती हैं। इस स्थिति में मनुष्य कि शास्त्रों का सार ग्रहण करना चाहिए।
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लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर
Monday, July 9, 2007
चाणक्य वाणी:शास्त्रो का सार ग्रहन करें
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