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Wednesday, July 4, 2007

चाणक्य वाणी: पानी भी ओषधि की तरह होता है

NARAD:Hindi Blog Aggregator

  1. पानी में बहुत से गुण हैं। अपचन हो तो भोजन न करके केवल पानी पीना ओषधि लेने के बराबर है। अपचन न हो तो भोजन पचने के पश्चात पानी पीना बल वर्धक है। भोजन चबाते हुए बीच-बीच में थोडा-थोडा पानी पीना अमृत तुल्य किन्तु भोजन करने के तुरन्त बाद पानी पीना विष तुल्य है।
  2. जल स्नान करना आवश्यक है। ते ल की मालिश करने, चिता का धुँआ लगने, रति क्रीडा तथा हजामत के पश्चात जब तक व्यक्ति स्नान नहीं कर लेता तब तक अस्पर्श्य माना जाता है इन कार्यों से निवृत होने का बात नहाने से आदमी कि बुद्धि शुद्ध हो जाती है।

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