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Saturday, April 30, 2016

देव बनने से डर लगता है-हिन्दी क्षणिकायें #Dev banane se Dar lagta hai-HindiShortPoem)

लोगों में सुनने की
ताकत नहीं बची
सच कहने में डर लगता है।

तय करना कठिन है
गिरते को बचाये
या अपने हाल पर छोड़ें
देव बनने से डर लगता है।
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गनीमत है
मानवता के साथ
प्यासे भी जिंदा है
वरना बोतलों में
पूरा पानी भर जाता।

सौदागरों के बाज़ार में
दाम चढ़ जाते आकाश पर
दान अगर मर जाता।
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कोई वादा करता है
पूरा करेगा
बिल्कुल पक्का समझना।

मजबूरी अगर होगी
तो पूरा नहीं भी करेगा।
बिल्कुल पक्का समझना।
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हमारे शब्द
उनका दिल नहीं छू पायेंगे
यह सोच कुछ कहा नहीं।

तसल्ली होती है
जुबानी जंग से बचे
हमारा मौन भी बहा नहीं।
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दिल की तार
अंतरिक्ष में जुड़ी होती
हम अपनी बात कह देते।

कागज कालम का
समय रहा नहीं
होठ टांकते शब्द
सामने पर्दे पर 
हम यूं ही कविता कह देते।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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