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Friday, November 20, 2015

स्वर्ग और मोक्ष-हिन्दी कविता(Swarg aur Moksh-Hindi Kavita)


भूखा पेेट एक रोटी से भी भरे
लोभ में चाहे पकवान खाये।

दिल की चाहत अनंत
सोने के पहाड़ पर चढ़े
हीरे का ख्याल सताये।

कहें दीपकबापू समाधि में
स्वर्ग गिरता आकर चरण में
मोक्ष आ जाता शरण में
जाने वही जो लगाये।।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर 
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.com
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