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Wednesday, April 27, 2011

असली ‘दम’ की पहचान करें-हिन्दी धार्मिक संदेश (asali dum ki pahachan-hindi dharmik sandesh)

         किसी आदमी में कितना ‘दम’ है उसकी प्रहार क्षमता से नहीं वरन् सहने की क्षमता से प्रमाणित होता है। अक्सर हम देखते हैं कि अनावश्यक रूप से दूसरों पर हमला करने, शस्त्रों से दूसरों को डराने और ऊंचे सपंर्कों की धौंस से समाज को आतंकित करने वालों को हम दमदार आदमी कहते हैं। उसी तरह जो लोग उपभोग की प्रवृत्ति में अधिक लिप्त होते हैं उनको ताकतवर मान लिया जाता है। यह केवल भ्रम है।
इस विषय में हमारे शास्त्रों के अनुसार
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           ‘‘इन्द्रियाणां जयो लोके दम इत्यभिधीयते।
           नादान्तस्य क्रियाः काशिचद् भवन्तहि द्विजोत्तमा।।
        ‘‘इस लोक में इंद्रियों पर विजय प्राप्त करना ही ‘दम’ माना जाता है। जो मनुष्य दमयुक्त नहीं है उसकी कोई क्रिया सफल नहीं हो सकती।’’
         इन्द्रियाणां प्रसंगेन दोषमृच्छति मानवः।
        संनियभ्य तु तान्येव सिद्धिं समधिनगच्छनि।।
         ‘‘इन्द्रियों के विशेष संग से मनुष्य स्वाभाविक रूप से विकार को प्राप्त होता है परंतु इन्द्रियों को नियंत्रित रखने से उसे सिद्धि ही प्राप्त होती है।’’
               बाहर कुछ कर दिखाकर अपना दम दिखाने वालों की इस संसार में कमी नहीं है। लोग इस कदर सम्मान पाने के आतुर रहते हैं कि छल कपट और मूर्खताऐं करते हुए उनका पूरा दम निकल जाता है। इतना ही नहीं अपने से कमजोर, बालक तथा स्त्रियों के प्रति आक्रामक रवैया अपनाना हमारे देश के दमदार लोग अपनी प्रतिष्ठा और योग्यता का प्रमाण मानते हैं। सच बात तो यह है कि लोगों की वाणी वाचाल होती है जो प्रायः अपनी दमखम का प्रचार करती है। जबकि सच बात यह है कि समाज में सहिष्णुता, विद्वेष तथा लालच की भावना इस कदर बढ़ गयी है कि लोग अत्यंत कमजोर हो गये हैं। त्याग, सहयोग तथा प्रेम का भाव कमजोर लोगों का तो लूट, वैमनस्य तथा गाली गलौच करना ताकतवर लोगों की निशानी मान ली गयी है। यही कारण है कि हमारा समाज अपराध तथा घृणा के भाव का शिकार हो गया है।
            अगर हम दम या शक्ति का सही रूप समझें तो अपनी मानसिकता बदल सकते हैं। चिल्लाने में कोई दम नहीं लगता बल्कि मौन में दम का पता चलता है। लूटने में भला कैसा दम? दम तो त्याग में पता चलता है। अतः अपने दमदार रूप को दिखाने के लिये अच्छे आचरण की नीति को अपनाना चाहिए।
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लेखक संकलक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा  'भारतदीप',Gwalior
Editor and writer-Deepak Raj Kukreja 'Bharatdeep'
http://deepkraj.blogspot.com
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