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Monday, April 12, 2010

मनुस्मृति-‘बक वृत्ति’ के लोगों की पहचान (manu dharma sandesh in hindi)

अधोदृष्टिनैष्कृतिकः स्वार्थसाधनतत्परः।
शठो मिथ्याविनीतश्च बकव्रतवरो द्विजः।।
हिन्दी में भावार्थ-
असत्य बोलने, कठोर वाणी में वार्तालाप करने तथा दूसरे के धन पर बुरी नज़र रखने वाले को बक वृत्ति का माना जाता है। ऐसा व्यक्ति अपने कल्याण की बात भी नहीं समझता और हमेशा ही स्वार्थ पूर्ति में लगा रहता है।
धर्मध्वजी सदा लुब्धश्छाùिको लोकदम्भका।
बैडालवृत्त्किो ज्ञेयो हिंस्त्रः सर्वाभिसंधकः।।
हिन्दी में भावार्थ-
प्रतिष्ठा पाने के लिये पाखंड के रूप में धर्म का आचरण करने वाला, दूसरों का धन छीनने वाला, ढोंग करने वाला, हिंसका स्वभाव तथा दूसरों का भड़काने वाला बिडाल वृत्ति का कहा जाता है।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-अपने स्वार्थ पूरी तो हर आदमी करता है पर कुछ लोग हैं जो केवल इसी धुन में रहते हैं कि अपना काम बने बाकी लोगों का कुछ भी हो। वह दूसरे की धन पर नज़र डालकर उसे अपने हाथ में करना चाहते हैं। उनकी वाणी में माधुर्य तो रत्ती भर भी नहीं रह जाता। ऐसे बक प्रवृत्ति के लोग इस धरती पर बोझ की तरह होते हैं क्योंकि वह किसी का भला करना तो दूर ऐसा करने का कभी सोच भी नहंी सकते। वह कूंऐ से पानी भरते रहेंगे पर उसमें कभी स्वयं पानी भरें, ऐसे किसी भी प्रयास में भागीदार नहंी बनेंगे। पेड़ की छाया तो चाहेंगे पर कहीं पौद्या रोपें-यह बात सोचेंगे भी नहीं। ऐसे बक पृवत्ति के लोगों की न केवल उपेक्षा कर देना चाहिए बल्कि अपना आत्ममंथन करते हुए यह भी देखना चाहिये कि कहंी हम ऐसी प्रवृत्ति का शिकार तो नहीं हो रहे।
उसी तरह धर्म की आड़ में केवल अपनी प्रतिष्ठा अर्जित करने के प्रयास को बिडाल वृत्ति कहा जाता है। आजकल हम ऐसे अनेक लोगों को अपने आसपास विचरण करते हुए देख सकते हैं जिनको धार्मिक पुस्तकों का ज्ञान रटा हुआ पर उसे वह धारण किये बिना ही दूसरों को सुनाते हैं। उनका मकसद धर्म प्रचार करना नहीं बल्कि धनार्जन करना होता है। ऐसे बिडाल वृत्ति के लोगों की संगत से बचना चाहिए।
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संकलक, लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://deepkraj.blogspot.com

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1 comment:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति व व्याख्या। आभार।

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