शोचन्ति जामयो यत्र विनशत्याशु तत्कुलम्।
न शोचन्ति तु यत्रैता वर्धते तद्धि सर्वदा।।
हिंदी में भावार्थ-उस परिवार का शीघ्र नाश हो जाता है जिसकी स्त्रियां दुःख या अभाव के फलस्वरूप परेशान रहती हैं। जहां स्त्रियां इस दुःख से परे होती हैं वह हमेशा घर परिवार उत्थान की तरफ अग्रसर रहते हैं।
तत्समदेताः सदा पूज्याः भूषणच्छादानाशनैः।
भूतिकामैर्नरर्नितयं सत्कारेषूस्वेषु च ।।
हिंदी में भावार्थ-अपने परिवार की तरक्की चाहने चाले को अपने घर में होने वाले उत्सवों के अवसर पर अपनी स्त्रियों का आदर सत्कार करना चाहिए और उन्हें सदा स्वादिष्ट उत्तम भोजन तथा वस्त्राभूषण आदि देकर उनकी पूजा करनी चाहिए।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय-मनु महाराज के संदेशों से यह स्पष्ट है कि मनुष्य जीवन स्त्री और पुरुष के समन्वय के बिना सहजता ने नहीं चल सकता। यही कारण है कि हमारे समाज में पवित्र अवसरों पर पत्नी के साथ ही पूजा आदि करने की परंपरा है। पति पत्नी साथ साथ मंदिर जाते हैं। धार्मिक अनुष्ठानों में पति पत्नी साथ साथ ही बैठकर उनको पूर्ण करते हैं। दरअसल इन परंपराओं के द्वारा ही यह प्रकट होता है कि सामान्य दिनचर्या में भले ही पुरुष की प्रधानता दिखती हो पर धार्मिक और अध्यात्मिक रूप से स्त्री का महत्व भी उतना ही जितना गृहकार्य में वह अपने हाथ से काम कर साबित करती है।
इसके अलावा मनु महाराज यह भी मानते हैं कि पुरुष का यह दायित्व है कि वह अपने घर की समस्त स्त्रियों को-माता, पत्नी, बहिन तथा बेटी- कभी किसी प्रकार का अभाव न होने दे। जो लोग अपना धन अय्याशी और व्यसनों में बर्बाद कर अपने घर की स्त्री के अधिकार का हनन करते हैं-वह पशु के समान हैं। अपनी स्त्रियों के साथ मारपीट या अपमानजनक व्यवहार करने वाले पुरुषों को अपने घर के नष्ट होने की स्थिति में कोई सहारा नहीं देता। उनका घर इसी कारण जल्दी नष्ट हो जाता है। इसलिये जितना हो सके अपने घर की स्त्री का सम्मान करने के साथ ही उसको किसी प्रकार का अभाव नहीं देना चाहिए।
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संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप,Gwaliorhttp://rajlekh.blogspot.com
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1 comment:
aapka yeh lekh bahut achcha laga..........
yeh baat bilkul sahi hai..... ki jis ghar mein aurat ki izzat nahin hoti wo ghar barbaad ho jata hai.....
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