समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

Sunday, July 19, 2009

कौटिल्य का अर्थशास्त्र-उत्तम गुण वाले निम्न कोटि के लोगों से मेल न करें (uchch koti nimna koti-kautilya ka arthshastra)

उतमाभिजनोपेतानम न नीचैः सह वर्द्धयेतु।
कृशीऽपि हिवियेकहो याति संश्रयणीयाताम्।।
हिंदी में भावार्थ-
जो उत्तम गुणों वाले हों उनको नीच गुणों वालों से मेल नहीं करना चाहिये। इसमें संदेह नहीं है कि संकट में आये उत्तम गुणी विद्वान को राज्य का आश्रय अवश्य प्राप्त होता है।
निरालोके हिः लोकेऽस्मिन्नासते तत्रपण्डिताः।
जात्यस्य हिं मणेयंत्र काचेन समता मताः।।
हिंदी में भावार्थ-
जो व्यक्ति ज्ञान के अंधेरे में रहते हैं उनके समीप विद्वान लोग नहीं बैठते। जहां भला मणि हो वहां कांच के साथ कैसा व्यवहार किया जा सकता है।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-आदमी को अपने गुणों की पहचान करते हुए समान गुणों वाले लोगों से ही मेल मिलाप करना चाहिये। अगर कोई व्यक्ति अधिक शिक्षित व्यक्ति है और वह अशिक्षितों में बैठकर अपने ज्ञान का बखान करता है तो वह लोग उसकी मजाक बनाते हैं। कई तो कह देते हैं कि ‘पढ़े लिखे आदमी किस काम के?’
उसी तरह अशिक्षित व्यक्ति जब शिक्षितों के साथ बैठता है तो वह उसकी मजाक उड़ाते हैं कि देखोे बेचारा यह पढ़ नहीं पाया। इस तरह समान स्तर न होने पर आपस में एक दूसरे को नीचा दिखाने की प्रवृत्ति मनुष्य में स्वाभाविक रूप से होती है।
कहने को कहा जाता है कि यहां झूठे आदमी का बोलबाला है पर यह एक वहम है। अगर व्यक्ति शिक्षित, ज्ञानी और कर्म में निरंतर अभ्यास में रत रहने वाला है तो विपत्ति आने पर उसे राज्य का संरक्षण अवश्य प्राप्त होता है। बेईमानी, भ्रष्टाचार और अनैतिक व्यापार करने वालों को हमेशा राज्य से भय लगा रहता है। उनके पास बहुत सारा धन होने के बावजूद उनका मन अपने पापों से त्रस्त रहता है। कहते हैं कि पाप की हांडी कभी न कभी तो फूटती है। यही हालत अनैतिक आचरण और कर्म से कमाने वालों की है। वह अगर इस प्रथ्वी के दंड से बचे भी रहें तो परमात्मा के दंड से बचने का उनके पास कोई उपाय नहीं है। वह अनैतिक ढंग से धन कमाकर अपने परिवार का भरण भोषण करते हैं पर उनके साथ शारीरिक विकार लगे रहते हैं। इसके अलावा उनके काले धन के प्रभाव से उनके परिवार के सदस्यों का आचरण भी निकृष्टता और अहंकार से परिपूर्ण हो जाता है जिसका बुरा परिणाम आखिर उनकेा ही भोगना पड़ता है।
उसी तरह जो लोग अपने जीवन में नैतिकता और ईमानदारी के सिद्धांतों का पालन करते हैं उनके परिवार सदस्यों पर भी उसका अच्छा प्रभाव पड़ता है। चाहे लाख कहा जाये सत्य के आगे झूठ की नहीं चल सकती जैसे मणि के आगे कांच का कोई मोल नहीं रह जाता।
................................
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग'शब्दलेख सारथी' पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप

1 comment:

Gyan Darpan said...

ज्ञान वर्धक

विशिष्ट पत्रिकायें