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Monday, December 8, 2008

चाणक्य सन्देश: उपकार का बदला चुकाकर होती हैं सुरक्षा

1.पाँव धोने का जल और संध्या के उपरांत शेष जल विकारों से युक्त हो जाता अत: उसे उपयोग में लाना अत्यंत निकृष्ट होता है। पत्थर पर चंदन घिसकर लगाना और अपना ही मुख पानी में देखना भी अशुभ माना गया है।
२.बिना बुलाए किसी के घर जाने की बात, बिना पूछे दान देना और दो व्यक्तियों के बीच वार्तालाप में बोल पडना भी अधर्म कार्य माना जाता है।
३.शंख का पिता रत्नों की खदान है। माता लक्ष्मी है फिर भी वह शंख भीख माँगता है तो उसमें उसके भाग्य का ही खेल कहा जा सकता है।
४.उपकार करने वाले पर प्रत्युपकार, मारने वाले को दण्ड दुष्ट और शठ से सख्ती का व्यवहार कर ही मनुष्य अपनी रक्षा कर सकता है।

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