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Saturday, March 8, 2008

संत कबीर वाणी:मांसभक्षण और मदिरा सेवन मूर्खता का प्रमाण

मांस खाय ते ढेड़ सब, मद पीवै सो नीच
कुल की दुरगति परिहरै, राम कहैं सो ऊंच

संत शिरोमणि कबीर दास जी कहते हैं कि जो मांस खाते हैं वह सब मूर्ख हैं और जो मदिरा पीते हैं वह नीच प्रवृति के हैं। जिनके कुल में इनके सेवन की परंपरा है उनका त्याग कर जो राम का नाम लेते हैं वह ऊंच है और उनका सम्मान करना चाहिऐ।

व्याख्या-आजकल समाज में मांस और मदिरा के सेवन की प्रवृति बढ़ रही है और तो और जिन शादी-विवाहों को हमारे समाज में पवित्र अनुष्ठान माना जाता है उनमें तो अब खुले आम मदिरा का सेवन होता है और कई जगह तो भोजन में मांसाहारी वस्तुएं भी परोसी जाने लगीं हैं। यह हमारे समाज के नैतिक और आध्यात्मिक पतन की चरम सीमा है। अगर कबीर जी के उक्त कथन को देखें और अपने समाज की वर्तमान स्थिति पर आत्ममंथन करें तो पायेंगे कि हम निम्नकोटि के होते जा रहे हैं। पहले कोई शराब पीता था तो कहते थे कि वह नीच है पर आज लोग आधुनिकता के नाम पर मदिरा खुले आम पी रहे हैं।

मगर सत्य तो सत्य हैं बदल नहीं सकता। मांसभक्षण और मदिरा का सेवन अगर आदमी के अधम होने का प्रमाण है तो वह बदल नहीं सकता। दिलचस्प बात यह है कि कबीरदास जी ने सदियों पहले यह बात कही थी वह वह आज भी प्रासंगिक है। हम गर्व करते हैं कि हमारा देश विश्व का आध्यात्मिक गुरु है और नैतिक पतन की तरफ जा रहे हैं। अब तो विदेशों में भी कबीर दर्शन पर चर्चा होने लगी है और हम किताबों में रखी अपनी आध्यात्मिक संपदा को भूलकर पाश्चात्य संस्कृति को अपना रहे हैं। बेहतर हो हम आत्ममंथन करें।

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