जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय
यह आपा तो दल दे, दया करे सब कोय
संत शिरोमणि कबीरदास जे कहते हैं की अगर व्यक्ति के मन में शांति है तो उसका कोई बैरी नहीं है, और वह घमंड करना छोड़ दे तो सब उस पर दया करेंगे।
अवगुण कहूं शराब का, आप अहमक साथ
मानुष से पशुआ कर दे, गाँठ से खात
संत शिम्रोमानी कबीरदास जी कहते हैं के शराब पीकर आदमी अपने आप पागल हो जाता है, मूर्खो और पशुओं जैसा व्यवहार करता है अपनी जेब से पैसा खर्च करता है सो अलग।
बाजीगर का बांदरा, ऐसा जीव मन के साथ
नाना नाच दिखे कर, राखे अपने साथ
कबीर दास जी कहते हैं की जिस तरह बाजीगर का अपने बन्दर से तरह-तरह के नाच दिखाकर अपने साथ रखता है उसी तरह मन भी जीव के साथ है वह भी जीव को अपने इशारे पर चलाता है।
No comments:
Post a Comment