कलि का स्वामी लोभिया, पीतलि भरी खटाइ
राज-दुबारा यौं फिरै, ज्यूँ हरिहाई गाइ
संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि कलियुग के स्वामी बडे लोभी हो गए हैं और उनमें विकार आ गया है, जैसे पीपल के बल्टोई में खटाई रख देने से आता है। राज द्वारों पर ये लोग मान-सम्मान पाने के लिए घुमते हैं रहते हैं, जैसे खेतों मैं बिगडैल गायें घुस आती हैं। राज-दुबारा यौं फिरै, ज्यूँ हरिहाई गाइ
स्वामी हवा सीतका, पिलाकर पचास
राम-नाम काठे रह्मा, करै सिपां की आँस
कविवर कबीरदास जी कहते हैं कि स्वामी आज-कल मुफ्त में, या पैसे के पचास मिल जाते हैं, मतलब यह कि सिद्धिया और चमत्कार दिखाने वाले स्वामी और बाबा बहुत है। राम नाम को तो रख देते हैं किनारे और शिष्यों से लाभ की आशा करते हैं।
3 comments:
बहुत बढिया! जारी रखें।
आज के बाबाओं पर एकदम सही चीज चुनकर लाये है. वाह.
बिलकुल सही आजकल के बाबाओं पर बिलकुल फ़िट है ये दोहे...
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