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Monday, July 16, 2007

संत कबीर वाणी: स्वारथ सूका लाकडा

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स्वारथ सूका लाकडा, छाँह बिहूना सूल
पीपल परमारथ भजो, सुख सागर को मूल
संत शिरोमणि कबीरदास कहते हैं कि स्वार्थ तो सूखे लक्कड़ के समान है, जिसमें न तो छाया मिलती है और न ही सुख, बल्कि कांटे के समान कष्टदायी है। परमार्थ और सदाचार पीपल के वृक्ष के समान है जो सदैव सबको सुख-शांति प्रदान करता है। अत परमार्थ के मार्ग का अनुसरण करो।

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