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Monday, July 16, 2007

चाणक्य वाणी: घर की रक्षा कुलीन स्त्री से होती है

NARAD:Hindi Blog Aggregator

  1. कोयल की मीठी वाणी उसका वास्तविक रुप है, वरना तो वह भी कॉए के समान काली और कुरूप होती है, परंतु उसका स्वर लोगों कि कानों को इतना मधुर और प्रिय लगता है कि उसके कुरूप होने कि परवाह न कर उसके भद्दी शक्ल की तरफ ध्यान न कर उससे स्नेह करते हैं।
  2. नदी के तेज बहाव के कारण उसके तट पर खडे वृक्ष नष्ट हो जाते है। उसी प्रकार जो नारी दूसरों के घर रहती है उस पर भी लोगों लांछन लगाते हैं और उसे अपने प्रतिष्ठा बचाने में कठिनाई होती है, इसलिये नारी को दुसरे के घर में निवास नहीं करना चाहिए ।
  3. धर्म सबसे अधिक शक्तिशाली है पर धन के बिना धार्मिक अनुष्ठान भी पूरे नहीं होते, इसलिये धर्म की रक्षा के लिए धन वांछित है।
  4. विद्या की रक्षा ज्ञान के अनुसार बार-बार स्मरण करने से होती है
  5. राज्य के रक्षा के लिए नीतिवान व दया पूर्ण व्यवहार जरूरी है।
  6. भर की रक्षा कुलीन स्त्री के द्वारा होती है।

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