राजा की चोरी करे, रहेँ रंक की ओट
कहैं कबीर क्यों उबरे , काल कठिन की चोट
कहैं कबीर क्यों उबरे , काल कठिन की चोट
कोई राजा के घर से चोरी करके दरिद्र की शरण लेकर बचना चाहे तो कैसे बचेगा? इस तरह सदगुरु से मुहँ छिपाकर और कल्पित देवी-देवताओं की शरण लेकर कल्पना की कठिन चोट से जीव कैसे बचेगा।
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