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Friday, July 20, 2007

चाणक्य वाणी

  1. बुरे राजा के राज में भला जनता कैसे सुखी रह सकती है।
  2. बुरे मित्र से भला क्या सुख मिल सकता है। वह और भी गले की फांसी सिद्ध हो सकता है।
  3. बुरी स्त्री से भला घर में सुख शांति और प्रेम का भाव कैसे हो सकता है।
  4. बुरे शिष्य को गुरू लाख पढाये पर ऐसे शिष्य पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ सकता है।

1 comment:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत सही लिखा है।

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