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Monday, June 25, 2007

संत कबीर वाणी

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नारी नरक न जानिए, सब संतन की खान
जामें हरिजन ऊपजे, सोई रतन की खान
प्रत्येक नारी को विषय-वासना का नरक नही समझना चाहिए, वह तो सब संत और महापुरुषों की जननी है। उससे सब परमात्मा प्रेम भक्त और संत उत्पन्न हुए। सब मानवता के अनमोल रत्नों की वही जन्मदायिनी है।
दीपक झोला पवन का, नर का झोला नारि
साधू झोला शब्द का, बोलै नाहिं विचारि
इसका आशय यह है वायु का झोला दीपक के लिए भयप्रद है, नारी का झोला पुरुष के लिए भयप्रद है। उसी तरह ठीक से विचार कर न बोला जाये तो शब्दवाणी का झोला साधू के लिए भी भयप्रद है। गलत शब्द के उपयोग से उसका साधू के रुप में महत्व कम हो जाता है।

1 comment:

सुनीता शानू said...

सही लिखा है...ऐसे ही होता है कभी नारी को जन्मदात्री कह कर सम्मानित किया जाता है तो कभी...तुलसी दास जैसे महापुरूषो द्वारा..ढोर,गंवार,क्षुद्र,पशु की उपाधी मिलती है..

सुनीता(शानू)

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