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१.बुद्धिमान पुरुष को तब तक ही भय की चिंता करना चाहिए जब तक वह सामने नहीं आ जाता, अगर एक बार वह सामने आ जाये तो उसका मुकाबला करना ही बेहतर है। भय के सामने आने पर घबडा कर छिपने की कोशिश करना समझदारी का काम नहीं है।
२.बुद्धिमान व्यक्ति को सदैव यह सोचना चाहिए कि उसके मित्र कितने है, और उसका समय कैसा चल रहा है। इसके अलावा अपने निवास स्थान और अपने आय व्यय पर भी विचार करते रहना चाहिए। उसे इस बात पर भी चिन्तन करना चाहिऐ कि वह कौन है, आत्मा या शरीर , स्वाधीन है अथवा पराधीन, तथा उसकी ताकत कितनी है, उसे इन बातों पर विचार करते रहना चाहिए वर्ना वह पत्थर की तरह निर्जीव हो जाता है।
1 comment:
सत्य वचन!
सुनीता(शानू)
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