इस समय भारतीय सीमा पर पाकिस्तान तथा चीन दोनों ही तनाव बढ़ा रहे हैं। चीन तो खुल्लमखुल्ला भारत को युद्ध की धमकी दे रहा है। हमें लगता है कि पाकिस्तान तथा चीन की आंतरिक राजनीति में पनामालीक के बाद एक अस्थिरता का दौर चल रहा है। कहीं न कहीं दोनों राज्य प्रमुख अपने अंदर ही राजनीतिक दबाव अनुभव कर रहे हैं इसलिये भारत से विवाद की आड़ में बचना चाहते हैं।
चीन की बौखलाहट देखकर लग रहा है वहां कोई राजनीतिक अंर्तद्वंद्व चल रहा है। वहां के वर्तमान राष्ट्रपति शी जिनपिंग का नाम पनामलीक में आया था। भारत में तो पनामलीक से जुड़े राज प्रचार माध्यमों ने दबा दिये पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, रूस के राष्ट्रपति पुतिन तथा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नाम देश में चर्चित है। रूस में पुतिन को चुनौती देने वाला कोई नहीं है पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पर अभी तलवार लटक रही है। ऐसा लगता है कि शीजिनपिंग की पकड़ चीन पर वैसी नही है जैसे पुतिन की है शायद इसलिये वह अपनी पार्टी के सदस्यों से आतंकित हो सकता है। शीजिनपिंग इतना डरा हुआ है कि उसने सर्वोच्च सेनापति का पद भी अपने पास रख लिया है। पाकिस्तान के कुछ विद्वान अपनी सेना पर ही आरोप लगा रहे हैं कि वह शरीफ से लोगों का ध्यान हटाने के लिये भारत से तनाव बढ़ाने की नौटंकी करती है। शी जिनपिंग भी शायद यही कर रहा है। शीजिनपिंग एक महान भ्रष्ट नेता है और इस बात की पूरी संभावना है कि वहां उसकी पार्टी में बहुत अधिक विरोध मौजूद हा। यह विरोधी शायद इतनी संख्या में हैं कि उन्हें मिटाना संभव नहीं है इसलिये उनका ध्यान विदेशी शत्रु की तरफ खींचा जा रहा है। पुतिन भी अमेरिका से ऐसे ही प्रयास में व्यस्त है।
शीजिंनपिंग तथा नवाजशरीफ दोनों ही पनामलीक के नायक हैं। जिस बैंक के यह ग्राहक हैं उसमें भारतीय भी हैं पर उनके नाम प्रचार माध्यमों ने छिपा दिये हैं पर शायद इन दोनों को इस बात का विश्वास है कि भारत से तनाव बढ़ायेंगे तो वहां के मित्र उनकी सहायता करेंगे इसलिये निडरता से सीमा पर आग बरसा रहे हैं। हमें दोनों से किसी बड़े युद्ध की संभावना नहीं दिखती क्योंकि नवाज शरीफ और शीजिनपिंग अपने देशों में शीशे के महल में रहते हैं इसलिये अपनी सेना को किसी पर गोली बरसाने का हुक्म नहीं दे सकते।
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