अब सत्य कहें जो कि विश्व तथा भारत में हो रही घटनाओं पर आधारित है। वह यह कि
भारत में वातावरण खराब होने वाली बात यूं ही नहीं दोहराई जा रही है। इसके पीछे कोई प्रायोजित कार्यक्रम है। हमारे देश में जब इतना भ्रष्टाचार दशकों से रहा है तो साहित्य, कला, फिल्म और अन्य क्षेत्रों
में दिये जाने वाले सम्मान उससे अछूते नहीं रह सकते। तय बात है कि यह सम्मान भी कुछ तय करके लिये और
दिये गये होंगे। अब वापसी भी उसी प्रक्रिया का भाग हैं।
इससे देश की विदेशों में प्रतिष्ठा गिरने वाली बात एक तरह से मसखरी ही है। जिस
तरह विदेशों में वातावरण है उससे तो विदेशों में यह छवि बन रही होगी कि भारतीय अधिक
चेतना वाले हैं जो अपने देश की स्थिति वैसी होने से चिंतित हो रहे हैं जैसी आज विदेशी
झेल रहे हैं।
वह बातें जो फेसबुक और ट्विटर पर लिखी गयीं
सम्मान वापसी करने वालों पर चेतन भगत की टिप्पणियों पर उन्हें मसखरा कहा जा
रहा है। सच तो यह है कि पूरे देश में सम्मान वापसी का मुद्दा एक मसखरी ही माना जा रहा
है। इसलिये मसखरा बनकर ही टिप्पणी की जा सकती है।
देश की मुख्य समस्यायें महंगाई, बेरोजगारी और खराब प्रबंधन हैं। आम लोगों की नज़र में यही मुद्दे हैं जिन पर
चर्चा होना चाहिये। मांस खाने का विरोध करना गलत है पर उसके प्रत्युत्तर में सार्वजनिक
रूप से खाने का प्रदर्शन करना भी बुरा है।
देश का वातावरण बिगड़ा नहीं बल्कि बिगड़
जाये इसके प्रयास अधिक हो रहे हैं। ऐसा लगता है कि कुछ लोगों इससे लाभ है।
महंगाई, बेरोजगारी और अन्य मुद्दों पर बोलने से प्रचार नहीं मिलता इसलिये माहौल बिगड़ने
की बात कहीं जा रही है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.comयह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
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