ऊजल पहिनै कापड़ा, पान सुपारी खाय।
कबीर गुरु की भक्ति बिन, बांधा जमपुर जाय।।
कबीर गुरु की भक्ति बिन, बांधा जमपुर जाय।।
संत कबीर कहते हैं कि जो उजले कपड़े पहनने के साथ ही पान सुपारी खाकर दिखावा करते हैं और गुरु की भक्ति नहीं करते वह बहुत तकलीफ के साथ मुत्यु को प्राप्त होते हैं।
दुनियां सेती दोसती, होय भजन में भंग।
एका एकौ राम सों, कै साधुन के संग।।
एका एकौ राम सों, कै साधुन के संग।।
संत कबीर कहते हैं कि दुनियां के लोगों के साथ मित्रता करने से भक्ति में बाधा आती है। एक अकेले ही भगवान राम की भक्ति तथा साधुओं की संगत करने पर ही मन को शांति मिलती है।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-आधुनिक युग ने भारत में जीवन के मायने ही बदल दिये हैं। मित्रता के नाम पर अनेक लोग कुसंगत में फंसकर जीवन तबाह करते हैं तो अनेक लोग समूहों में मिलकर भगवान भजन का आयोजन कर अपने धार्मिक होने की दिखावा करते हैं। स्थिति यह है कि अनेक लोग अपने यहां शादी विवाह के अवसर पर परंपरागत गीत गायन के स्थान पर भजन जागरण करते हैं और इस अवसर पर शराब तंबाकू का खुलकर सेवन होता है। कई बार तो हंसी आती है कि भक्ति को लेकर लोग समझते क्या हैं? वह भगवान को भक्ति दिखा रहे हैं या लोगों को बता रहे हैं या अपने आपको ही स्वयं के भक्त होने का विश्वास दिला रहे हैं। अब तो हर मौके पर सामूहिक भजन कार्यक्रम करने की ऐसी परंपरा शुरु हो गयी है कि देखकर लगता है कि पूरा देश ही भक्तमय हो रहा है। उस हिसाब से देश में नैतिकता तथा आचरण के मानदंड बहुत ऊंचे दिखना चाहिये पर ऐसा है नहीं।
दरअसल देश में बढ़ते धन ने लोगों को बावला बना दिया है और धनी लोग अपनी छबि धार्मिक बनाये रखने के लिये ऐसे आयोजन करते हैं जिससे समाज में भले आदमी की छबि बने रहे। उसी तरह कुछ बाहुबली लोगों से पैसा वसूल कर भी अनेक प्रकार के सामूहिक धार्मिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं कि लोग उनकी छबि को साफ सुथरा समझें। सच तो यह है कि धर्म साधना एकांत का विषय है और इसमें जो समूह बनाकर भजन करते हैं या कार्यक्रमों में शामिल होते हैं वह सिवाय पाखंड के कुछ नहीं करते। दूसरों को नहीं अपने आपको धोखा देते हैं।
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संकलक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा 'भारतदीप',GwaliorEditor and writer-Deepak Raj Kukreja 'Bharatdeep'
http://deepkraj.blogspot.com
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1 comment:
बेहतरीन पोस्ट .आभार !
महाष्टमी की बधाई .
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