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Tuesday, May 11, 2010

संत कबीरदास के दोहे-स्वयं ठग जायें, पर दूसरे को न ठगे(sant kabir das ke dohe-khud kisi ko na thagen)

कबीर आप ठगाइये, और न ठगिये कोय
आप ठगै सुख, ऊपजै और ठगे दुख होय
संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि अगर आपको कोई ठग जाता है तो कोई बात नहीं है, पर आप स्वयं किसी को ठगने का प्रयास मत करो। हम ठग जायें तो एक तरह से इस बात का तो सुख होता है कि हमने स्वयं कोई अपराध नहीं किया पर अगर हम किसी दूसरे को ठगते हैं तो मन में अपने पकड़े जाने का भय होता है और कभी न कभी तो उसका दंड भी भोगना पड़ता है।
जो तोको काटा बुवै, ताहि बुवै तू फूल
तोहि फूल को फूल है, वाको है तिरशूल
संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं जो अगर कोई व्यक्ति तुम्हारे लिए कांटे बोता है, तुंम उसके लिए फूल बोओ। तुम्हारे तो फूल हमेशा ही फूल होंगे परंतु उसके लिये कांटे तिरशूल की तरह उसको लगेंगे।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-ऐसा लगता है कि दूसरों को ठगने वाले लोग सुखी हैं, पर यह वास्तविकता नहीं है। जिन लोगों ने दूसरों के प्रति अपराध कर संपत्ति बनाई है उनको भी कहीं न कहीं मन में भय रहता है और कभी न कभी उनको दंड भोगना ही पड़ता है। यह दंड किसी भी प्रकार का हो सकता है। उनकी संतानें अयोग्य होतीं हैं या उनके घर मे बीमारियों का वास रहता है। पकड़े जाने पर सामाजिक रूप से भी वह अपमानित होते हैं। इसलिये स्वयं हमें किसी को ठगने का प्रयास नहीं करना चाहिए। हां, कभी स्वयं ठगे जाते हैं तब धन या वस्तु खोने का क्षणिक दुःख होता है पर समय के साथ उसे भूल जाते हैं पर अगर किसी और को हम ठगते हैं तो वह अपराध हमारे हृदय में शूल की तरह चुभा रहता है और इससे जीवन में हम सदैव विचलित रहते है।
जब हमारे पास धन संपदा का अभाव होता है तब अनेक विचलित होकर यह विचार करते हैं कि दूसरे अमीरों की तरह ठगी का व्यापार प्रारंभ कर दें। ऐसा कर नहीं पाते पर मन को व्यर्थ संताप देकर हम पाते भी कुछ नहीं है। सच बात तो यह है कि यहां गरीब सुखी नहीं है तो अमीर भी कोई आराम से रह नहीं पाते। पैसे से सुख मिलने का विचार केवल एक दृष्टिभ्रम है। आजकल तो ऐसी अनेक घटनायें हो रही हैं जिनमें बड़े बड़े भ्रष्टाचारी जेल की सींखचों के अंदर पहुंच जाते हैं। उनकी लूट की रकम की इतनी होती है कि सामान्य चोर भी शरमा जाये। कहने का अभिप्राय यह है कि लोगों के साथ ठगी करने से वाले कभी न कभी कहीं न कहीं दंड भोगते हैं। अतः भले ही कोई हमें ठग ले पर दूसरे को ठगने का प्रयास हमें नहीं करना चाहिए।

संकलक, लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://anant-shabd.blogspot.com
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1 comment:

सतीश कुमार चौहान said...

बातो में काफी दम हैं
सतीश कुमार चौहान भिलाई
satishkumarchouhan.blogspot.com
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