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Wednesday, October 1, 2008

विदुर नीति:अधर्म से प्राप्त धन का दोष छिपता नहीं

१. अधर्म से प्राप्त हुए धन के द्वारा जो दोष छिपाया जाता है वह तो छिपता नहीं, उससे भिन्न और नया दोष प्रकट हो जाता है.
२. अपने मन और इन्द्रियों को वश में करने वाले शिष्यों के शासक गुरु हैं. दुष्टों के शासक राजा हैं और छिपकर अधर्म और पाप कार्य करने वालों के शासक यमराज हैं.
३.सज्जन पुरुष पच जाने पर अन्न की, निष्कलंक युवावस्था बीत जाने पर स्त्री की, संग्राम जीत लेने पर शूर की और तत्व ज्ञान प्राप्त हो जाने पर तपस्वी की प्रशंसा करते हैं.
४.पहली अवस्था में वह काम करें जो वृद्धावस्था में सुखपूर्वक रह सकें और जीवन भर वह कार्य करें जिसको मरने पर भी लोग याद करें.

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