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Thursday, June 5, 2008

संत कबीर वाणी:भिखारी के लिए बोलना और चोर के लिए चुप रहना अच्छा

चातुर को चिन्ता घनी, नहिं मूरख को लाज
सर अवसर जानै नहीं, पेट भरन सूं काज


संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि जो चतुर और ज्ञानी होते हैं उनके ढेर सारी चिंताएं होती हैं जबकि जो अज्ञानी और मूर्ख है उसे किसी प्रकार की चिंता नहीं सताती और वह शर्म से परे होता है। उसे तो किसी तरह अपना पेट भरने से मतलब होता है। वह तो समय असमय को नहंी जानता उसे तो अपना पेट भरने से मतलब होता है।

मांगन को भल बोलनो, चोरन को भल चूप
माली को भल बरसनो, धोबी को भल धूप


संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि भिक्षा मांगने वालों के लिए बोलना अच्छा है, क्योंकि उसी से उनको कार्य में सिद्धि मिलेगी। चोरों के लिए चुप रहना ही अच्छा है, अन्यथा उसे पकड़ लिया जायेगा। माली के लिए वर्षा का होना बहुत अच्छा है जबकि धोबी के लिए धूप अच्छी है ताकि उसके कपड़े सूखते रहें।

1 comment:

Udan Tashtari said...

आभार इस प्रस्तुति का.

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