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Friday, March 14, 2008

संत कबीर वाणी:प्रेम में कोई नियम नहीं होता

जहाँ प्रेम होता तहं नेम नहीं, तहां न बुद्धि व्यवहार
प्रेम जब मगन भया, कौन गिने तिथि वार



संत शिरोमणि कबीर दास जी कहते हैं जहाँ प्रेम होता है वहाँ किसी प्रकार का नियम नहीं होता। प्रेम में लाभ-हानि देखने वाली बुद्धि भी काम नहीं करती। जो आदमी प्रेम में मगन होता है वह तारीख और वार की परवाह नहीं करता।

आज के संदर्भ में व्याख्या-धर्म के साथ अनेक प्रकार के नियम बना दिए गए हैं जिन्हें कर्मकांड भी कहा जाता है। इन कर्मकांडों के बारे में इस तरह प्रचार किया जाता है कि उनका निर्वाह करने से परमात्मा का सानिध्य प्राप्त हो जायेगा। यह एक भ्रम है। जो भगवान से प्रेम करता है वह किसी नियम की तरफ ध्यान नहीं देता। न ही वह इस बात की परवाह करता है कि उसको क्या लाभ होगा। न ही उसे दिन और वार की चिंता रहती है। आजकल तो लोगों ने परमात्मा के विभिन्न स्वरूपों के स्मरण के लिए दिन बना दिए हैं। यह केवल दिखावे की भक्ति का प्रतीक है। परमात्मा के किसी भी स्वरूप का सच्चे ह्रदय से स्मरण करने वाले इन दिनों की चिंता नहीं करते और प्रेम पूर्वक भक्ति में लीन रहते हैं। इसलिए जिनको परमात्मा का स्मरण करना है वह सच्चे ह्रदय से चाहे जब उनका स्मरण करें और इसके लिए उनको किसी से प्रेरणा लेने की जरूरत नहीं है। जो भक्ति और प्रेम के नाम पर नियम और कर्मकाण्ड का विधान बताते हैं वह ढोंग करते हैं।

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