समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

Tuesday, March 4, 2008

संत कबीर वाणी:दोष के कारण राम के नाम का रंग नहीं चढ़ता

मुख से नाम रटा करै, निस दिन साधुन संग
कहूं धौं कौन कुफेर तें, नाहीं लागत रंग

संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं की नित्य साधू-संतों की संगत में राम का नाम रटते हैं। फिर भी कुछ लोगों पर अपने किसी दोष की कारण राम का वास्तविक रंग नहीं चढ़ता।
भावार्थ-कुछ लोग दिखावे के लिए साधू-संतों की संगत करते हुए भजन करने का प्रयास केवल लोगों को दिखाने के लिए करते हैं। ऐसे लोग मन से कभी भक्ति नहीं करते। कुछ लोग तो केवल समाज में भक्त की छवि बनाने के लिए तमाम तरह स्वांग करते हैं पर उनके आचार-विचार से कभी नहीं लगता कि वह भक्त हैं क्योंकि उन पर भगवान का रंग भी कभी नहीं चढ़ता।

कबीर जो कोई सुन्दरी, जानि को विभिचार
ताहि न कबहूँ आदरै, परम पुरुष भरतार


संत शिरोमणि कबीर दास जी कहते हैं कि जो कोई सुन्दरी स्त्री सब कुछ जानते हुए भी अनाचार करती हैं उसका परमात्मा भी कभी आदर नहीं करता।

1 comment:

भोजवानी said...

कबीर सा रा रा रा रा रा रा रा रारारारारारारारा
जोगी जी रा रा रा रा रा रा रा रा रा रा री

विशिष्ट पत्रिकायें