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Sunday, March 2, 2008

संत कबीर वाणी:मांस खाने वाला नरक में जाता है

पीर सबन को एकसी, मूरख जाने नाहिं
अपना गला कटाय के, भिस्त बसैं क्यों नाहिं


संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं की ह्रदय की पीडा तो सबकी एक समान है,परन्तु मूर्ख लोग समझते नहीं हैं. ऐसे जीव जो हिंसा में यकीन करते हैं अपना गला कटवाकर स्वर्ग क्यों नहीं चले जाते।

मांस मांस सब एक हैं, मुरगी हिरनी गाय
आँख देखि नर खात हैं, ते नर नरकहि जाय


संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं की मांस तो मांस हे होता है चाहे वह मुर्गी का हो या हिरनी और गया का. उसे जो जान बूझकर खाता है वह नरक को जाता है।

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