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Sunday, February 10, 2008

अपने ब्लोग पर नियमित रूप से लिखें-आलेख

आज सामने टीवी पर भारत और आस्ट्रेलिया के बीच क्रिकेट मैच चल रहा है और मैं ब्लोग पर कुछ लिखना चाहता हूँ। दिमाग क्योंकि मैच में लगा इसलिए कोई नया विषय सूझ नहीं रहा है. ऐसे में क्या लिखना जरूरी है? कोई भी कहेगा कि'यार फिर मैच अच्छा लग रहा है तो वही देखो काहे बोर कर रहे हो?''यह सही है कि मैं कोई व्यवासायिक ब्लोग लेखक नहीं हूँ पर ब्लोग बनाने से पहले जब में अंतर्जाल पर पत्रिकाओं में लिख रहा था तब मुझे इसके बारे में जानकारी होने के बावजूद ब्लोग नहीं बनाया पर इसमें मेरी दिलचस्पी थी. इस बारे में शहर के एक वाचनालय में एक पत्रिका में पढा था। उस समय इस विषय में मैंने एक आलेख पढा जो इन ब्लोग के बारे में था। उस समय मेरा ब्लोग बनाने का कोई विचार नहीं था फिर भी मैंने उसे पढा।
उस लेख में यह लिखा था कि अगर ब्लोग बनाते हैं तो अपने ब्लोग पर नियमित रूप से लिखना चाहिए। अगर आप हर दिन लिखते हैं तो फिर वैसा ही लिखिए। इसी तरह साप्ताहिक, पाक्षिक, या मासिक जो भी आपने अवधि तय की है उस पर जरूर लिखिए। नहीं तो जो पाठक आपको पढ़ रहे हैं वह विश्वास नहीं करेंगे-क्योंकि कई लोग आपके ब्लोग को अपना आईकोन बनाकर भी रख सकते हैं। जब उन्हें उसे पर नियमित रूप से कुछ पढ़ने को नहीं मिलेगा तो वह निराश हो जायेंगे। दूसरी बात उसमें यह लिखी थी कि आप यह मत सोचिये कि क्या लिखूं और कितना लिखूं? आप तो लिखिए और अच्छे बुरे का निर्णय पाठको को करने दीजिये। लिखे का क्या? किसी को आपका वह लिखा भी पसंद आ सकता है जो आपको खुद पसंद नहीं आया हो और जो आपको अपना लिखा पसंद है वह किसी को न भी पसंद हो सकता है। अगर आप अच्छे भाव से लिखेंगे तो आपका लिखा अपने आप अच्छा होगा-आप अपने मन में कोई संशय न रखें।
दूसरे वाले नियम का तो अपने लेखन-जीवन में पालन करता हुआ आया हूँ। अपना लिखा भेजने और छपने के बाद मैं उसका पीछा नहीं करता और समय मिलते ही अगली रचना में जुट जाता हूँ। पहले वाले नियम का पालन करने के बारे में अब यह विचार है कि अपने सभी ब्लोगों के दिन तय कर दूं ताकि लोग रोज खोलकर निराश न हों। इस ब्लोग जगत में तकनीकी जानकारी होना बहुत महत्वपूर्ण है और खास तौर से अपने ब्लोगर साथियों के साथ आम पाठको की रुचियाँ और उनके ब्लोग पर आने के रास्तों की जानकारी होना बहुत महत्वपूर्ण है। जब तक ब्लागस्पाट के ब्लोगों पर मैंने काऊंटर नहीं लगाया था तब तक वहाँ के पाठकों के बारे में अधिक जानकारी नहीं होती थी, पर जब से वह लगाया है तो आम पाठकों के बारे में बहुत कुछ पता लगता है। साथ ही यह भी पता लगता है कि हमारा लिखा किन-किन रूपों में कहाँ-कहाँ पहुँचता है।
बहुत ब्लोग होने के कारण मैंने कुछ ब्लोगों पर नियमित नहीं लिखा और पता लगा कि मेरा यह ब्लोग शब्दलेख सारथी अपने आप में सबसे अधिक लोकप्रिय ब्लोग है और उसके बाद अनंत शब्दयोग का नंबर आता है। यह आश्चर्य की बात हैं कि मैंने जब अपनी दृष्टि से कुछ अच्छा और गंभीर समझा उसे इन दो ब्लोग पर ही रखा-हालांकि इसके लिए कोई मैंने रणनीति नहीं बनायी पर यह आदत हो गई । शब्द लेख सारथी तो पहले छद्म नाम से था पर बाद में उसे अपने असली नाम से किया। इस ब्लोग पर मैंने नियमित रूप से महापुरुषों के संदेशों पर अधिक लिखा और इसलिए शायद इसे पाठक मिले। इस ब्लोग से मुझे यही सन्देश मिलता है कि आप लाख अच्छा लिखने की करो पर भारतीय अध्यात्म के प्रति लोगों का आकर्षण आज भी है और वह इससे अधिक प्रभावित है चाणक्य, कबीर, रहीम, मनु, कौटिल्य जैसे महापुरुषों के सन्देश जो मानव हित में हैं आज भी लोगों के हृदय में स्थान रखते हैं। इस ब्लोग पर मेरी स्वरचित रचनाएं न के बराबर हैं और मुझे इस पर खुशी होती हैं कि लोग इन महापुरुषों को पढ़ना चाहते हैं। इन पर रचनाएं में ज्ञान बघारने के लिए बल्कि स्वाध्याय के लिए लिखता हूँ ताकि खुद भी कुछ सीख सकूं।
पिछले कुछ दिनों से ब्लोग स्पॉट के ब्लोग पर लिप्यान्तरण काम नहीं कर रहा तो मैंने इस पर लिखना बंद कर वर्डप्रेस पर एक नये ब्लोग पर लिखना शुरू कर दिया था पर आज इस पर पाठक देखकर मैंने सोचा कि उनको भी वास्तविकता बता दूं और साथी ब्लोगरों के साथ भी यह अनुभव बाँटू कि अवधि चाहे कोई भी हो पर अपने ब्लोग पर नियमित रूप से लिखें। ब्लोगिंग के दौरान मुझे कई और भी अनुभव हुए हैं जिन पर में लिख कर आपको बताऊंगा।

2 comments:

mamta said...

आपने सही फरमाया है कि ब्लॉगिंग मे हमेशा नियमित रुप से लिखते रहना चाहिऐ।

पर आज पढ़ने मे साफ नही है। शब्द गड्ड-मड्ड से हो रहे है।

mehek said...

ye tho sach hai ki blog par niyamit roop se likhana chahiye,kabhi kabhi,samay ki kamtarta ki vajah se nahi likh pate,kabhi blog khol nahi pate.par man ki baat likh kar jo kushi milti hai,wo sach behad achhi hoti hai.
http://mehhekk.wordpress.com/

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