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Saturday, February 9, 2008

रहीम के दोहे:विपदा में ही होती है हितैषी की पहचान

रहिमन बिपदाहू भली, जो थोरे दिन होय
हित अनहित या जगत में, जनि परत सब कोय

कविवर रहीम कहते हैं की विपता का समय भी अच्छा है. वह भले ही काम समय के लिए आता है पर तब पता लगता है कि कौन अपना हितैषी है और कौन शत्रु है, यह भली भाँती समझ में आ जाता है.

रहिमन सुधि सबतें भली लगै जो बांरबार
बिछुरै मानुष फिरि मिलें, यही जान अवतार


कविवर रहीम कहते हैं कि स्मृति तो सबसे प्यारी है, जो बार-बार आती है. इसके द्वारा बिछुड़े मानवों का मिलन हो जाता है. यह बात सभी मनुष्यों को समझ लेना चाहिऐ.

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