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Saturday, February 16, 2008

रहीम के दोहे: कितना भी बड़ा ज्ञानी हो उसकी अनुचित बात न माने

अनुचित वचन न मानिए जदपि गुराइसु गाढ़ि
है रहीम रघुनाथ ते सुजस भरत को बाढ़ि

कविवर रहीम कहते हैं कि कोई भी कितना व्यक्ति बड़ा और गूढ़ ज्ञान वाला क्यों न हो उसके अनुचित वचनों को मत मानो क्योंकि यह जरूरी नहीं है कि वह हमेशा सत्य वचन ही कहता हो। यहाँ यह भी याद रखने वाली है कि भगवान् श्री रामचन्द्र के वचनों से ही भरतको सुयश की प्राप्ति हुई थी।

अब रही मुश्किल पड़ी, गाढे दोउ काम
सांचे से तो जग नहीं, झूठे मिलै न राम

कविवर रहीम कहते हैं कि अब तो जीवन में ऐसी कठिनाई आ गयी कि दोनों कार्य दुष्कर हो गए हैं। सत्य बोलने से संसार का काम नहीं चलता और मिथ्या भाषण से भगवान् का मिलना संभव नहीं है।

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