- वेद स्मृति के अनुसार चारों आश्रमों में गृहस्थाश्रम श्रेष्ठ है। इसका कारण यह है कि गृहस्थाश्रम में रहने वाला ही आदमी इन तीन आश्रमों में रहने वालों का पालन करता है।
- वेद मंत्रों का जाप सभी को अभीष्ट फल प्रदान करता है, चाहे ज्ञानी करें या अज्ञानी, स्वर्ग के सुखों की इच्छा करने वाला करे अथवा मोक्ष की इच्छा करने वाला।
- संकलन कर्ता का अभिमत है यहाँ स्वर्ग के सुखों से आशय यह नहीं है जो मरने के बाद प्राप्त होते है वरन इस इहलोक में भी हम वह तमाम आनंद इन मंत्रों के हृदय से उच्चारण कर प्राप्त कर सकते हैं जो इस देह के लिए अभीष्ट होते हैं।
3. धर्म के दस लक्षण हैं १.धैर्य रखना २.क्षमा करना ३.मन पर नियंत्रण करना ४,चोरी नहीं करना ५.मन,वचन और कर्म करना ६.ज्ञानेद्रियाँ एवं कामेद्रियाँ अर्थात सभी इन्द्रियों पर नियंत्रण करना ७.शास्त्र का ज्ञान प्राप्त करना ८.ब्रह्म ज्ञान प्राप्त करना ९.सच बोलना १०.क्रोध नहीं करना।
4. आत्म साक्षात्कार कर लेने वाला योगी कर्मों के बंधनों में नहीं पड़ता। जो ब्रह्म के दर्शन नहीं कर पाता वही कर्तापन के अहंकार से अच्छे-बुरे कर्मों के परिणाम स्वरूप आवागमन के चक्र में पड़ता है।
1 comment:
यदि इनके साथ मूल श्लोक भी दें तो और आनन्द आये।
Post a Comment