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Saturday, December 15, 2007

मनुस्मृति:बिडाल, बक और अज्ञानी को दिया दान फलदायक नहीं

न वार्यपि प्रयच्छेतु बैडालव्रतिके द्विजे
न बकव्रतिके विप्र नावेदविदी धर्मवित

धर्मं ज्ञाता को ऐसे किसी ढोंगी साधू को पानी तक नहीं पिलाना चाहिऐ जो दूसरों को मूर्ख बनाकर लूटते हैं या जो ऊपर से साधू दिखते हैं पर उनके मन में दुष्ट भाव होता है और धर्म के ज्ञान से रहित होते हैं।

त्रिष्वप्येतेषु दत्तं ही विधिनाsप्यर्जितं धनम्
दातुर्भावत्यांर्थय परत्रादातुरेव च


इन तीनों तरह के लोगों (बिडाल वृत्ति वाले अर्थात दूसरों को मूर्ख बनाकर लूटने वाले, बक वृति वाले अर्थात ऊपर से दुष्ट और वेद ज्ञान से रहित) को न्याय तथा धर्म से कमाया दान देने और लेने वाले को नरकगामी बनता है.

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