समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

Friday, August 10, 2007

कबीर वाणी: निंदक से कुत्ता भी भला

निन्दक ते कुता भला, हट कर माँडै शर
कुत्ते ते क्रोधी बुरा, गुरू दिलावै गार
निंदा से बहुत भला तो कुता है, जो कि दूर हटकर भौंकता है। परंतु कुत्ते से भी अधिक क्रोध करने वाल निंदा बुरा है जो अपने गुरू को गाली दिलवाता है। लोग सोचते हैं कि जब यही ऐसा अज्ञानी और परनिन्दा करने वाला है तो इसका गुरू भी ऐसा ही होगा।

No comments:

विशिष्ट पत्रिकायें