जो जैसा उनमान का, तैसा तासों बोल
पोता को गाहक नहीं, हीरा गाँठिं न खोल
संत शिरोमणि कबीर दास जी कहते हैं कि जैस व्यक्ति हो वैसा ही उससे व्यवहार करना चाहिए। जो कांच खरीदने वाला नहीं उसके सामने हीरे की गठरी खोलने का कोई लाभ नहीं क्योंकि वह इसके योग्य नहीं होता।
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