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Saturday, August 11, 2007

चाणक्य नीति: कलियुग में ऐसा भी होता है

  1. कलियुग में दस हजार वर्ष बीत जाने पर भगवान विष्णु पृथ्वी को त्याग देते हैं, पांच हजार वर्ष बाद गंगाजल पृथ्वी को छोड़ देता है और ढाई हजार वर्ष व्यतीत होने पर ग्राम देवता पृथ्वी का त्याग करते हैं।
  2. जिस व्यक्ति पर परमपिता भगवान् विष्णु की कृपा दृष्टि हो जाती है उसके लिए तीनों लोक अपने ही घर के समान है। जिस पर प्रभु का स्नेह रहता है उसके सभी कार्य स्वयं सिद्ध हो जाते हैं।
  3. किसी भी कार्य को करने से पहले देख लेना चाहिए उसका प्रतिफल क्या मिलेगा? यदि प्राप्त लाभ से बहुत अधिक परिश्रम करना पडे तो ऐसा परिश्रम न करना ही अच्छा है। माला गूंथने से, चंदन घिसने से या ईश्वर की स्तुति का स्वयं गान करने से ही किसी भी मनुष्य का कल्याण नहीं हो सकता है, यह कार्य तो हर कोई कर सकता है। वैसे जिनका यह व्यवसाय है उन्हें ही शोभा देता है। मनुष्य को वही कार्य करना चाहिए जो उसके लिए उचित व कम परिश्रम से फलदायक हो।

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