सोईं शब्द निज सार है, जो गुरू दिया बताय
बलिहारी वा गुरुं कों, सीष बियोग न जाय
बलिहारी वा गुरुं कों, सीष बियोग न जाय
यूँ तो संसार में बहुत से शब्द-वचन का प्रयोग होता है, परंतु जो शब्द और ज्ञान हमें अपने गुरू से प्राप्त हुआ, वही सत्य और हित कारक होता है। उस गुरू की बलिहारी है, उसको सर्वस्व समर्पण है, जिसका दिया हुआ ज्ञान-उपदेश तथा समर्थ-शिष्य व्यर्थ न जाये।
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