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Monday, April 9, 2007

अपनी जिन्दगी को यों न तबाह करो

जिन्दगी में शिखर पर पहुंचने की
चाहत सभी में होती है
पर कोई आकर गिरता है
जमीन पर ओंधे मूहं
किसी को ही सिंहासन की
सीढ़ी नसीब होती होती है
इसलिये यारों किसीचाहत के
पूरे न होने पर निराश न होना
किसी सपने के टूट जाने पर
तुम न बिखर जाना
दुनियां में ख्याल आते हैं
पर ख्यालों की यह दुनियां नहीं है
वह तो आते-जाते रहेंगे
पर ज़िंदगी को अपनी यूं
स्वयं तबाह न करना
वह एक ही बार नसीब होती है
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जिसे तुम अपनी समझते हो
वह ज़िंदगी किसी की अमानत है
अपने पर इतना न इतराओ
तुम्हारा हर पल अपने साथ
इसीलिये साथ चलता है
क्योंकि खुदा की जमानत है।
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