हमारा अनुमान सही निकला भारत की यूएन में सदस्यता रोकने के लिये चीन नेपाल
का मुहरे की तरह इस्तेमाल कर रहा है तभी उसने भारत के विरुद्ध आवश्यक
सामग्री की आपूर्ति रोकने की शिकायत की है। यूएन में शिकायत करने के बाद
भारत अब नेपाल को अपने हाल पर छोड़ दे तभी चीन का मुहरा होने का अर्थ वह समझेगा।
हमने पहले भी उल्लेख किया था कि समुद्रीसीमा न होने से नेपाल को भारतीय
सीमा से सामान आपूर्ति की अंतर्राष्ट्रीय बाध्यता है मगर नेपाल इस अधिकार की आड़
में भारतीय जनमानस को अपमानित नहीं कर सकता। इतनी अक्ल नहीं है नेपाली रणनीतिकारों
को कि सुविधायें कभी अधिकार के रूप में नहीं मिलती। चीन यूएन में पाकिस्तान का उपयोग नहीं कर सकता
इसलिये नेपाल का कर रहा है मगर भारतीय रणनीतिकार अब आक्रामक मूड में हैं। वह इसकी
परवाह नहीं करेंगे कि चीन अब यह तर्क देगा कि भारत की अपनी पड़ौसी से नहीं बनती
इसलिये उसे सदस्यता न दी जाये। स्वयं उसके वियतनाम, मंगोलिया और ताइवान से संबंध खराब हैं। मगर नेपालियों ने भारत से स्थाई बैर ले लिया है
यह बात अब समझ लें।
भारत के रणनीतिकार भी यह समझ लें कि उनकी हमारे देश की सामरिक स्थिति
इजरायल की तरह ही है। इजरायल के दुश्मन
ही अप्रत्यक्ष रूप से भारत के दुश्मन बने
हुए हैं। हम यह भी देख रहे हैं कि जैसे जैसे भारत संयुक्त राष्ट्र की स्थाई
सदस्यता के लिये दावा बढ़ा रहा है वैसे वैसे ही यह सभी दुश्मन मिलकर कश्मीर का
मुद्दा भी ज्यादा तेजी से उठा रहे हैं। कोई कमी न रह जाये इसलिये नेपाल को भी भारत
का दुश्मन बना दिया है। मगर जिस तरह
इजरायल ताकत के साथ खड़ा हुआ वैसे ही भारत को भी खड़ा रहना चाहिये। नेपाल के लोगों
को भी अब यह साफ समझना चाहिये कि हिन्दू धर्म से अलग होने के बाद भारतीय जनमानस
में उनके लिये सद्भाव समाप्त हो गया है।
जो नेपाल के कदम का स्वागत कर रहे
हैं वह स्वयं कट्टर धार्मिक राष्ट्र हैं और उन्हें दूसरे देश की धर्मनिरपेक्षता
में अपना साम्राज्य फैलाने की सुविधा मिल जाती है।
---------------------
दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’’
कवि, लेखक एंव संपादक-दीपक 'भारतदीप",ग्वालियर
poet,writer and editor-Deepak 'BharatDeep',Gwalior
http://dpkraj.blogspot.comयह कविता/आलेख रचना इस ब्लाग ‘हिन्द केसरी पत्रिका’ प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति लेना आवश्यक है।
इस लेखक के अन्य ब्लाग/पत्रिकायें जरूर देखें
1.दीपक भारतदीप की हिन्दी पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अनंत शब्दयोग पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
4.दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका
5.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान का पत्रिका
८.हिन्दी सरिता पत्रिका
No comments:
Post a Comment