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Tuesday, February 17, 2009

कबीर के दोहेःपहले आदमी को परखें फिर संपर्क बढ़ायें

संत कबीर कहते हैं कि
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कबीर देखी परखि ले, परखि के मुखा बुलाय
जैसी अन्तर होयगी, मुख निकलेगी आय
जब कोई मिले तो उसे पहले अच्छी प्रकार देख परख के पश्चात् ही उससे मुख मिलाओ। जैसी उसके मन में बात होगी वैसी कहीं न कहीं मुंह से निकल ही आयेगी।
पहिले शब्द पिछानिये, पीछे कीजै मोल
पारख परखै रतन को,शब्द का मोल न तोल

पहले किसी की बात सुनकर उसके शब्द पर विचार करें फिर अपने विवेक से निर्णय ले। हीरे का मोल तो होता है इसलिये उसके लिये मोलभाव किया जाता है पर सच्चे शब्दों का कोई मोल नहीं होता-यानि दूसरे के जो शब्द हैं उनमें अगर कमी दिखाई दे तो उस पर यकीन न करें और केवल अच्छी संभावना को मानकर संपर्क न बढ़ायें।

वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-प्रचार माध्यमों ने आदमी की मन बुद्धि पर अधिकार कर लिया है इसलिये लोगों की अपने विवेक से काम करने की शक्ति नष्ट हो गयी है। अभिनेता,कलाकार,लेखक और बुद्धिजीवियों को उनके सुंदर शब्दों पर ही योग्य मान लिया जाता है। फिल्मों में अभिनेता और अभिनेत्रियां दूसरे लेखकों द्वारा बोले गये शब्द बोलते हैं पर यह भ्रम हो जाता है कि जैसे वह स्वयं बोल रहे हैं। अनेक विज्ञापन आते हैं जिसमें सुंदर शब्दों के साथ प्रचार होता है और लोग मान लेते हैं। शब्दों के जाल मं किसी को भी फंसाना आसान हो गया है और जो एक बार किसी के जाल में फंस गया तो उसके हितैषी चाहें भी तो उसे नहीं निकाल सकते।

इस मायावी दुनियां में पहले भी कोई कम छल नहीं था पर अब तो खुलेआम होने लगा है। अनेक ऐसे लोग हैं जो बदनाम हैं पर वह पर्दे पर चमक रहे हैं क्योंकि वह बोलते बहुत सुंदर हैं। प्रचार माध्यमों में अपराधियों का महिमा मंडन हो रहा है और वह भी अपने को पवित्र बताते हैं। तब लगता है कि जब सभी लोग पवित्र हैं तब इस दुनियां में अपराध क्यों हो रहा है? यह सब समाज की विवेक शक्ति के पतन का परिचायक हैं क्योंकि हम दूसरें के शब्दों पर विचार नहीं करते जबकि होना यह चाहिये कि जब कोई दूसरा व्यक्ति बोल रहा है तो उसके शब्दों पर विचार करें। इतना ही नहीं जब तक किसी के शब्दों को परख न लें तब तक उस पर यकीन न करें। अपना किसी से संपर्क धीरज से बढ़ायें क्योंकि बातचीत में कहीं न कहीं आदमी में मूंह से सच निकल ही आता है।
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संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप

2 comments:

Manoshi Chatterjee मानोशी चटर्जी said...

शीर्षक ही काफ़ी है आपकी इस पोस्ट का...

निर्मला कपिला said...

bahut badiyaa magar jmaanaa aisa aa gaya hai ki parkh karne me paara jivan beet jauega par aapki parkh puri nahi hogi dunia ne chehre par na jaane kitne kitne nakab laga rakhe hain sunder lekh ke liye dhanyavaad

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